रविवार, 12 सितंबर 2021

इस्लाम नहीं मानने पर हमला होगा– मौलाना अजीज

             “पूरी दुनिया में अब इस्लाम का निजाम क़ायम होने जा रहा है”। पाकिस्तान की लाल मस्ज़िद के मौलाना अब्दुल अजीज ने ऐलान किया है कि अब दुनिया को इस्लामी निजाम मानना होगा, जो इस्लाम नहीं मानेगा उस पर हमला होगा । मौलाना ने बताया कि इस्लाम के लिये पंद्रह से बीस लाख फ़िदायीन तैयार किये जा रहे हैं जो दुनिया भर में उन लोगों पर हमले करेंगे जो इस्लाम को कुबूल नहीं करेंगे ।

दुनिया को छोड़िये, भारत के भी अतिबुद्धिजीवियों को इसमें कुछ भी अन्यायपूर्ण नहीं लगता जबकि भारत को हिंदूराष्ट्र घोषित किये जाने की माँग पर इन्हें सख़्त ऐतराज़ हुआ करता है । “Dismantling Hindutva” के योद्धाओं के लिये मौलाना अब्दुल अजीज के इस ऐलान से ख़ुशी होगी । जो “अतिबुद्धिजीवी” नहीं हैं उन्हें याद करना होगा कि मौलाना की धमकी से पहले अबू-बकर-अल-बगदादी भी ख़ुद को दुनिया का ख़लीफ़ा ऐलान कर चुका था और उसनें हजारों लोगों को कत्ल करने के अलावा लाखों लोगों की ज़िंदगियों को तबाह कर दिया था । बगदादी मर गया, उसका स्थान लेने के लिये मुसलमानों में होड़ लग गयी है, यह विचार कभी ख़त्म नहीं होगा...। अफ़गानिस्तान में निज़ाम-ए-इस्लाम क़ायम करने की क़वायद जारी है । पाकिस्तान और भारत के “कम बुद्धि” वालों को सोचना होगा कि अब अगला नम्बर किसका होगा ।

वामपंथियों को यह पक्का विश्वास है कि हिंदू तो इस्लाम को बदनाम करने के लिये झूठ बोलते रहते हैं । किंतु कोट्टयम के बिशप ने भी “लव-ज़िहाद” और “नारकोटिक्स ज़िहाद” के आक्रमण से ग़ैरमुस्लिमों की रक्षा किये जाने की आवाज़ उठायी है, वामपंथियों के अनुसार शायद यह भी झूठ होगा । केरल के कुछ ईसाइयों को भरोसा है कि अन्य धर्मावलम्बियों की सुरक्षा के लिये भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाना चाहिये अन्यथा यहाँ केवल इस्लाम ही होगा और कुछ भी नहीं ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदुओं के लिए कठिन समय आने वाला है । इतिहास से भी नहीं सीखना चाहते कि ऐसे समय हमें एक जुट होना चाहिए । हिन्दू ही हिंदुओं का गला काटने को तत्पर हैं । डरावना दृश्य दिखा रही है ये पोस्ट ।

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  2. यह समय अमावस्या का है, पूर्णमासी के लिये हमें प्रतीक्षा करनी होगी... लेकिन तब तक बहुत कुछ नष्ट हो चुका होगा ।

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टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.