भाजपा ने अपने कई सदस्यों को लक्ष्मण रेखा के लिए चिन्हित किया है। लक्ष्मण रेखा, गरिमापूर्ण भाषा और सौम्य विमर्श का स्वागत है। यदि आपके पास तर्क हैं तो शालीनतापूर्वक प्रस्तुत किए गए विमर्श प्रभावी होते हैं, अन्यथा वितण्डा ही होता है । किसी भी स्थिति में सभ्यता, शालीनता और सौम्यता की लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए। यह सभी के लिए होना चाहिए। किंतु टीवी विमर्श में होने वाली जिस अभद्रता, उग्रता और असभ्यता को हम सब देखते आ रहे हैं वही तो वितण्डावाद का मूल सिद्धांत है, “न श्रुणुतव्यं न मन्तव्यं वक्तव्यं तु पुनः पुनः”-वितण्डावादी उसे कैसे छोड़ सकेंगे! यह सबसे बड़ी चुनौती है जिससे सरकार, मीडिया और जनता सभी को जूझना है। दुर्भाग्य से इस तरह के आचरण और प्रदर्शन पर अंकुश लगाने के लिए आज तक किसी भी स्तर पर कोई प्रयास ही नहीं किया गया।
टीवी विमर्श
में हमने अपने बच्चों के साथ अभद्रता और असभ्यता की सीमाएँ बारम्बार तार-तार होते हुए
देखी हैं। क्या ऐसे निरंकुश और अराजक लोगों के लिए भी कोई लक्ष्मण रेखा बनेगी?
मुझे उन
सभी टीवी चैनल्स से शिकायत रहती है जो ऐसे असभ्य लोगों को बारम्बार डिबेट के लिए आमंत्रित
करते हैं। डिबेट्स में होने वाली निम्नस्तरीय निंदा और कलह को सनसनी की तरह प्रस्तुत
कर टी आर पी बढ़ाने वाले टीवी चैनल्स का दायित्व है कि वे विकृत मानसिकता वाले लोगों
को मीडिया पर प्रस्तुत करने से परहेज करें। पीएच.डी. कर लेना मनुष्यता का प्रमाण नहीं
है, उसके लिए तो अशिक्षित लोग भी पात्र हैं। सभ्य समाज को स्वस्थ विचारों और स्वस्थ
विमर्श की आवश्यकता होती है, तू-तू मैं-मैं की नहीं।
टीवी चैनल्स
को हाइपरबोल से भी बचना चाहिए, देश में बढ़ती उग्रता के पीछे यह
भी एक बहुत बड़ा कारण है। नूपुर शर्मा प्रकरण में मुस्लिम देशों का विरोध एक राजनीतिक
प्रक्रिया है, जिसका तार्किक और सफल समाधान सम्भव है किंतु टीवी
चैनल्स और विपक्षी दलों ने इस बात का जो बतंगड़ बनाया उससे भारत की छवि ख़राब हुयी है।
सरकार को भी चाहिए कि वह धार्मिक तुष्टीकरण से पूर्ण परहेज करे। हम इसके परिणाम देख
चुके हैं, धमकियाँ भी सुन चुके हैं। यह भी सुन चुके हैं कि “दुनिया
भर के मुसलमान किसी भी देश में क्यों न रहते हों किंतु हम सब एक हैं”। इस्लामियत के
लिए मुस्लिम राष्ट्रवाद का यह वास्तविक स्वरूप अन्य धर्मावलम्बियों के लिए अध्ययन और
चिंतन का विषय है। और आज की अंतिम बात यह कि नूपुर शर्मा के क्षमायाचना के बाद उस प्रकरण
को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, मौलाना महमूद मदनी की यह ज़िद कि
नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को कानून के दायरे में सजा दी जानी चाहिए, पूरी तरह अनुचित और अपनी शक्ति को प्रदर्शित करने का अस्तरीय तरीका है। तथापि
यह नहीं समझा जाना चाहिए कि भारत का सनातनी समाज इस तरह की किसी कानूनी प्रक्रिया का
सामना करने से भयभीत है या सच कहने से पीछे हट जाएगा।
अभी अभी...
धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म पर टिप्पणी करना भाजपा के सदस्यों के लिए वर्ज्य विषय और
दंडनीय अपराध घोषित कर दिया गया है। धर्म पर हर तरह की टिप्पणी करने और अमर्यादित अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता के सर्वाधिकार केवल उनके पास सुरक्षित हैं जो भाजपा के सदस्य नहीं हैं।
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टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.