बुधवार, 8 जून 2022

राजनीतिक विकल्प

                भारत इस समय नेतृत्वविहीनता और बहुत गहरे वैचारिक संकट से जूझ रहा है। परिस्थितियाँ बहुत प्रतिकूल हैं, जिन पर भरोसा था वे विश्वासघाती निकले। सनातनी एक बार फिर बहुत बुरी तरह छला गया है। हिन्दुओं के स्वयम्भू ठेकेदार के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सनातनियों की पीठ में छुरा भोंक दिया है और भाजपा सत्यवादियों को दण्ड देने के लिए तत्पर हो गयी है। पालघाट में संतों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी, लालकिले पर ख़ालिस्तानी ध्वज लहराया गया, टिकैत के सामने प्रधानमंत्री ने घुटने टेक कर क्षमायाचना की, साधुसंतों के अपमान और उनको दी जा रही यातनाओं पर गहन मौन छाया रहा और शाहीनबाग गुण्डई साल भर निर्बाध चलती रही। अराजकता, अलगाववाद और अराष्ट्रवाद जैसी महत्वपूर्ण समस्याओं के समाधान में असफलता जैसे अनेक प्रकरण हैं जिन्हें भारत की जनता ने बड़ी बेबसी के साथ सहन किया, किंतु अब और नहीं।   

नूपुर शर्मा को बलात्कारी भेड़ियों के आगे फेक देने वाली सत्तालोभी भाजपा देश के सनातनियों की कितनी रक्षा कर सकेगी यह अनुमान लगाया जा सकता है। कई बार ऐसा होता रहा है कि भारत के सनातनी लोग राजनैतिकविकल्प के अभाव में भाजपा की आत्मघाती चालों की अनदेखी करते रहे हैं, किंतु पानी अब सिर से बहुत ऊपर हो चुका है। भाजपा और संघ ने पूरी निर्लज्जता के साथ अपना नकाब पूरी तरह उतार कर फेक दिया है और ये दोनों सनातनियों के धोखेबाज शत्रु के रूप में सामने आ चुके हैं। इन्हें न तो राष्ट्र से कोई प्रयोजन है और न सनातन से, इनका लक्ष्य एन-केन प्रकारेण केवल सत्ता है जिसके लिए इन्हें भारत की बहुसंख्य जनता के साथ विश्वासघात करने में भी कोई लज्जा नहीं आती।

स्मरण कीजिए, हाल ही में केरल के किसी मुस्लिम नेता का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें अंग्रेज़ी में बोलने वाले वक्ता को यह कहते हुये सुना गया कि केरल में इस्लाम की हुकूमत 2031 में होगी, रा.स्व.संघ का ख़ात्मा 2040 तक हो जाएगा, भारत पर मुसलमानों की हुकूमत 2047 तक हो जायेगी और भारत को इस्लामिक मुल्क बनाने की घोषणा 1 जनवरी 2050 की सुबह कर दी जाएगी। उनका मिशन साफ है। इस वीडियो पर मोहन भागवत और भाजपा मौन रहते हैं। मौलाना महमूद मदनी द्वारा हिन्दुओं को भारत छोड़ देने की धमकी देने पर मोहनभागवत और भाजपा में मौन छाया रहा, कश्मीर घाटी में एक बार फिर कश्मीरी पंडितों की हत्याएँ प्रारम्भ हो गयी हैं, मोहनभागवत मुसलमानों को अपना भाई मान कर मुग्ध हुये जा रहे हैं। आस्तीन के साँप स्वयं बाहर आने लगे हैं। भारत के सनातनियों को वास्तव में भाजपा और संघ से गम्भीर ख़तरा है। ये अफगानिस्तान के राष्ट्रपति की तरह अवसरवादी और भगोड़े मानसिकता वाले लोग हैं जिनमें दृढ़ता और पुरुषार्थ का कहीं कोई अता-पता नहीं है।   

भारत भर के सनातनी राष्ट्रवादियों से आह्वान है कि अब और विलम्ब करने का समय नहीं रहा, हमें अविलम्ब एक नये राजनीतिक दल के गठन की आवश्यकता है जो धर्मनिरपेक्ष नहीं बल्कि पूरी तरह धर्मसापेक्ष और प्राणिमात्र के लिए हितकारी सिद्धांतों पर आधारित होगा – “सनातनी राष्ट्रवादी दल”।

मोहन भागवत और मुसलमानों के पूर्वज

            बीसवीं शताब्दी के अंतिम दो दशकों में कश्मीर घाटी के कश्मीरी पंडितों की हत्याएँ होती रहीं, पंडितों की लड़कियों से यौनदुश्कर्म किए जाते रहे, सनातनियों की सम्पत्ति लूटी जाती रही और उन्हें अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया गया। सन् 1991 में एक अल्पविराम के बाद यह क्रम अब 2022 में एक बार फिर शुरू हो गया है।

शिवलिंग का अपमान करने वाले से, कुरान के इतिहास के एक तथ्य का उल्लेख करने पर नूपुर शर्मा से बलात् यौनदुष्कर्म करने और सिर काट कर लाने वाले को एक करोड़ के इनाम की घोषणा होती है जिस पर कार्यवाही करते हुये नूपुर शर्मा को उनकी पार्टी से छह साल के लिए निलम्बित कर दिया जाता है। इनाम की घोषणा करने वाले वकील साहब की विजय को भारत के लोकतंत्र ने गर्व से स्वीकार किया, जिसका मौन समर्थन मोहन भागवत द्वारा किया गया। 

मोहन भागवत कहते हैं कि 1991 से पहले के इतिहास को छोड़ो अब उसके बाद की स्थिति को स्वीकार कर लो। मोहन जी! इस महीने हिन्दू-उत्पीड़न की जो घटनाएँ हुयी हैं उन्हें इतिहास माना जाय या नहीं? मुस्लिम उग्रवादियों द्वारा प्रतिक्षण जो अपमानजनक और हिंसा का इतिहास रचा जा रहा है उसे याद रखें या भूल जायँ?

मोहन भागवत मुसलमानों को अपना भाई बता रहे हैं किंतु अपने उन्हीं भाइयों के किसी अत्याचार के विरुद्ध बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। भाजपा और संघ ने सनातनियों के सामने बड़ी विचित्र स्थितियाँ उत्पन्न कर दी हैं। किंतु सनातनी इन सबसे निराश नहीं है। भारत को एक वैकल्पिक राजनीतिक दल की आवश्यकता है। आमजनता में सुगबुगाहट होने लगी है कि राष्ट्रवादी लोगों को एक पृथक दल गठित करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

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