मंगलवार, 28 जून 2022

मार दिया नूपुर समर्थक को

 भारत में सनातनियों के उन्मूलन का क्रम प्रारम्भ हो चुका है, क्या किसी को अभी भी कोई संदेह है?

उदयपुर में नूपुर समर्थक एक व्यक्ति की उसके आठ साल के बेटे के सामने हत्या कर दी गयी। “सर तन से जुदा” वाले इस “सहिष्णुता” सिद्धांत पर कमाल की चुप्पी छायी हुयी है। चुप्पी की मोटी रजाई ओढ़े मोहनभागवत, आशुतोष, बरखा दत्त, रविश कुमार और राजदीप सरदेसाई जैसे लोग इस हत्या पर मौन हैं क्योंकि मारने वाला मोहनभागवत का भाई है और मरने वाला नूपुर समर्थक एक सनातनी। क्या आप पाकिस्तान में इस तरह की किसी घटना की कल्पना कर सकते हैं जिसमें ईशनिंदा के मिथ्या आरोप में मारने वाला हिन्दू और मरने वाला मुसलमान हो? नहीं न! यह केवल भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान में ही होता है जहाँ मरने वाला केवल कोई सनातनी और मारने वाला केवल कोई मुसलमान ही होता है। मोहन भागवत को इन मारने वाले लोगों के आचरण में सहिष्णुता और उनके शरीर में अपने पूर्वजों के डीएनए दिखायी पड़ते हैं। आख़िर यह आदमी ऐसी घटनाओं पर मौन क्यों रहता है?

पिछले कुछ दशकों में छद्महिन्दुत्व ने भारत को पूरी तरह आच्छादित कर लिया है। हम सब छद्महिन्दुत्व के विष से विषाक्त हो चुके हैं। कोई कोट के ऊपर जनेऊ लटका लेता है, कोई तिलक लगा लेता है, कोई मंदिर चला जाता है, कोई सार्वजनिक सभा में दुर्गाशप्तशती के मंत्र पढ़ने लगता है... । इस पाखण्ड ने बहुसंख्यकों को भरमा कर रखा है। हिन्दुओं को न और है न ठौर है, यह विवशता अपनों को भी मालुम है और शत्रुओं को भी।

मरने वाले का अपराध यह था कि वह सनातनी यानी हत्यारे की भाषा में काफिर था और सत्य के पक्ष में खड़ा था। हम ऐसी हुकूमत में रहते हैं जहाँ सत्ता कभी सत्य के साथ नहीं होती।

कल कोई भी ज़िहादी मेरी भी हत्या कर सकता है, मैं नूपुर शर्मा और नवीन का समर्थक हूँ, समर्थक रहूँगा। मैं हर उस व्यक्ति के साथ हूँ जो सत्य के साथ खड़ा है।

पॉलीथिन हो गयी प्रतिबंधित

केवल एक बार वापरने के बाद फेक दी जाने वाली पॉलीथिन एक जुलाई से प्रतिबंधित होने जा रही है। यह निर्णय पिछले वर्ष लिया गया था ताकि व्यापारी इस बीच वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें। व्यापारियों ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की और और अब बीवरेज़ेस कम्पनियों ने करोड़ों की आर्थिक क्षति का उल्लेख करते हुये समय में कुछ और छूट माँगी है।

चीन में हुयी भारी वारिश ने पिछले चालीस वर्षों के स्तर को तोड़ दिया है। अभी अभी असम में भी वर्षा और बाढ़ से भारी क्षति हुयी है। यह क्षति भी करोड़ों की है पर व्यापारियों को लाभ के अतिरिक्त और कुछ नहीं चाहिये।

प्रथम दृष्ट्या यह निर्णय स्वागतेय है किंतु क्या हम सरकार से पूछ सकते हैं कि यह प्रतिबंध पॉलीथिन के व्यवहार पर ही क्यों, उत्पादन पर क्यों नहीं लगाया जाना चाहिये?  

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